Home लाल किताब अंधी कुंडली

अंधी कुंडली

by CKadmin

लाल किताब में ग्रहों की स्थिति अनुसार कुंडली को कुछ विशेष नाम दिए गए है, जिस से फलादेश को समझने
में सहायता मिलती है। इस लेख में हम अंधी कुंडली की व्याख्या करेंगें। अंधी कुंडली से अभिप्राय यह नहीं है की
जातक की आँख ख़राब होगी या आखों का रोग होगा बल्कि सांसारिक कार्यों के समय जातक की आँखों पर पर्दा
पड़ जाएगा। जातक उचित और अनुचित कार्य का सही अनुमान नहीं लगा पाता।
कुंडली का दसवां भाव हमारा कर्म स्थान होता है जिसका हमारी आय पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि
दसवें भाव में एक से अधिक शत्रु ग्रह बैठ जायेगें तब वो हमारे कर्म क्षेत्र को अपनी आपसी शत्रुता के कारण
कमज़ोर करेंगें, ऐसे में हमारा कर्म क्षेत्र असंतुलित हो जाएगा और काम या व्यापार में बाधा आएगी। ऐसे ग्रहों
की स्थिति में अंधी कुंडली का निर्माण होता है। 
उदाहरण के तौर पर अगर दसवें भाव में बुध और गुरु बैठ जाए जो आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं, वो जातक
के कर्म स्थान को ख़राब करते है और जातक के काम व व्यापार में बाधा उत्पन्न करते हैं।  
अंधी कुंडली के बुरे प्रभव को कम करने के लिए 10 अंधे व्यक्तियों को भोजन करवाना चाहिए साथ में कुछ मीठा
भी परोसना चाहिए।

0 comment

Related Articles