Home आध्यात्म राम भक्त हनुमान की अनोखी कथा

राम भक्त हनुमान की अनोखी कथा

by CKadmin

बात उस समय की है जब श्री राम ने रावण वध उपरांत अयोध्या का राजकाज संभाल लियाथा। हनुमान जी भी श्री राम के साथ अयोध्या में ही वास करने लगे, और श्री राम के समस्त कार्यों में उनका हाथ बटानेलगें। भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न ने सोचा की अगर सब काम हनुमान जी ही करेंगें तो उन तीनों को श्री राम की सेवा का अवसर नहीं मिलेगा। तब तीनों भाइयों ने श्री राम को बोला की अब से हम तीनों भाई मिलकर आप की सेवा करेंगें, श्री राम ने इस बात की स्वकृति दे दी। यह सुन कर हनुमानजी निराश हो गए। श्री राम, हनुमान जी की निराशा को समझ गए और उनको बोला की तुम कोई भी एक सेवा ले लो जो केवल तुम ही करोगे। हनुमानजी ने थोड़ी देर सोच कर बोला प्रभु जब भी आप को जम्हाईआएगी, तब मैं चुटकी बजा कर आप की सुस्ती दूर करूँगा। प्रभु राम और सब भाइयों ने इस बात को मान लिया।

बस अब क्या था, हनुमान जी दिन-रात श्री राम के साथ रहने लगें। रात को शयन कक्ष में भी हनुमान जी, श्री राम के पास ही थे। माता सीता ने बोला हनुमान अब बस करो श्री राम को विश्राम करने दो। हनुमान जी बोले नहीं माता पता नहीं कब श्री राम जम्हाई ले लें, मैं उनकी एकमात्रसेवा से वंचितनहींहोना चाहता। श्री राम के बोलने पर हनुमान जी कक्ष से बाहर तो चले गए पर उन्होंने सोचा ना जाने कब प्रभु जम्हाई ले लें, इसलिए उन्होंने रात भर चुटकी बजानी शुरू कर दी, और यहाँ श्री राम जम्हाई पर जम्हाई लेने लगे। यह सिलसिला रात भर चला, सीता माता परेशान हो गयी कि ना जाने श्री राम को यह कौन सा रोग लग गया है ना कुछ बोल पा रहे है और ना ही विश्राम कर रहे है, बस जम्हाई पर जम्हाई ले रहे हैं। सुबह होते ही माता ने सभी भाइयों, माताओं, ऋषिवशिष्ठऔर राजवैद्य को बुलाया।महाऋषिवशिष्ठने बोला इस संकट की घड़ी में हनुमान कहाँ है। हनुमान जी को बुलाया गया। यहाँहनुमानजीने चुटकी बजानी बंद की वहाँ प्रभु राम ठीक हो गए। अब सब समझ गए यह श्री राम और हनुमान जी की लीला थी। सब भाइयों ने हनुमान जी से माफ़ी मांगी और उनको श्री राम की समस्त सेवा वापस करदी और बोला हनुमान जैसा राम भक्त, दूसरा ना हुआ था, ना है और ना ही भविष्य में होगा।

जय श्री राम ।।

0 comment

Related Articles