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ग्रह और रिश्ते

by CKadmin

किसी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए किस ग्रह को करना होगा खुश:

आज के व्यस्तताओं भरे जीवन में किसी के पास किसी को देने के लिए न तो समय है और न ही स्नेह व प्यार। आज व्यक्ति व्यापार, कारोबार, नौकरी, धन उपार्जन आदि में इतना उलझ गया है कि उसके पास न स्वयं के लिए समय है न ही घर परिवार के लिए। आज भले ही सोशल मीडिया ने समुंद्र पार बैठे लोगों को तो हमारे नजदीक कर दिया है, परंतु एक ही छत के नीचे रहने वाले लोगों में दूरियां आ गई हैं। घर परिवार, दोस्त, रिश्ते हमें किस्मत से मिलते हैं। रिश्तों की नींव आपसी सहयोग व प्यार-प्रेम पर टिकी होती है। इन्हें सँजोकर रखना चाहिए। इस कार्य में ज्योतिष विज्ञान की मदद ली जा सकती है।

किसी व्यक्ति की कुंडली के विश्लेषण से न केवल उस व्यक्ति विशेष के बारे में अपितु उससे जुड़े अन्य लोगों की भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। कुंडली में उपस्थित नौ ग्रह से जातक के घर परिवार व समाज के रिश्तों पर विचार किया जा सकता है।    ज्योतिषशास्त्र में हर रिश्ते के लिए अलग अलग ग्रह होते हैं। हर ग्रह किसी न किसी रिश्ते का सूचक है।

सूर्य:- पिता, स्वयं का मान सम्मान, सरकार

चन्द्रमा:- माता, जातक का मन

बृहस्पति:- ताया, दादा, घर के बड़े बुजुर्ग, गुरु, अध्यापक

मंगल:- भाई-बहन, मित्र

बुध:- बहन, बुआ, बेटी, मौसी

शुक्र:- प्रेमी, प्रेमिका, पति, पत्नि

शनि:- चाचा, सेवक, नौकर

राहू:- ससुराल पक्ष, दादा का परिवार

केतू:- संतान, ननिहाल पक्ष

लोग ग्रहों को अनुकूल करने के लिए अनेकों उपाय करते हैं। वास्तव में देखा जाए तो हर ग्रह किसी न किसी रूप में हमारी ज़िंदगी में मौजूद है। हम अपने रिश्तों में मधुरता लाकर भी ग्रहों के फल को अच्छा कर सकते हैं। और ये तथ्य दोनों ओर से काम करता है। आप ग्रहों को ठीक करें तो रिश्ते ठीक हो सकते हैं या रिश्तों को मधुर करें तो ग्रह शुभ फल देंगें। उदाहरण के तौर पर जातक अपने पिता का सम्मान करें, उनके साथ कोई मतभेद व मन मुटाव न रखें तो कुंडली में स्थित सूर्य ग्रह को बल मिलता है। वह शुभ होकर अच्छे फल प्रदान करता है। जातक का आत्मबल बढ़ता है व उसे सरकार से लाभप्राप्ति के योग भी प्रबल होते हैं।

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