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अनंत कालसर्प योग

by CKadmin

कालसर्प योग मुख्यता 12 प्रकार के होते है, इस लेख में पहले कालसर्पयोग यानि अनंत कालसर्प योग के बारे में विस्तृत जानकारी देने की कोशिश की गयी है।

जन्म कुंडली में यदि राहु लग्न में हो और केतु सप्तम भाव में हो और शेष सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में उपस्थित हो तो इस योग का निर्माण होता है।

जिस जातक की कुंडली में अनंत कालसर्प दोषहोता है तो ऐसाव्यक्ति बहुत ही निडर होता है और जोखिम लेने को हमेशा ही तैयार रहता है।इस व्यवहारके कारण उस को बहुत बार दुर्घटनाओं का भी सामना करना पड़ता है।

ऐसे जातक का विवाह अक्सर विलम्भ से होता है।यदि यह दोष अधिक बलवान हो तो जातक को जीवनभरबिनाशादी के रहना पड़ता है।विवाहहो भी जाए तो भी ऐसेजातक का वैवाहिक जीवन में कई प्रकार की समस्या आती है, जैसे पति-पत्नी दोनों में हमेशा वैचारिकमतभेद रहतेहै यादोनों में बिना मतलब झगड़े होते रहतेहै।

व्यवसायिक क्षेत्र में भी जातक को बहुत संघर्ष करना पड़ता है व सफलता देरी से मिलती है।नौकरी में उसको अपने मान-सम्मान को ध्यान रखने हुए कार्य करना चाहिए। मानसिक तनाव से ग्रस्त रहता है। किसी विवाद में फंस कर अदालत के भी चक्कर काटना पड़ता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी ऐसे जातक पर बुरा हाल रहता है।

अनंत कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए जातक को नित्य ॐ नमः शिवाय का जाप करें, महामृत्युन्जन मंत्र के जाप से लाभ मिलता है।

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