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गजकेसरी योग

by CKadmin

योग का शाब्दिक अर्थ ही किन्हीं दो या अधिक चीज़ों का एक साथ होना होता है। इसी प्रकार जब कुंडली में दो या दो से अधिक ग्रह एक ही भाव में उपस्थित हों या दृष्टि से सम्बंध बनाते हों तो बहुधा प्रकार के योगों का निर्माण होता है जो स्वभाव से शुभाशुभ हो सकते हैं।

इसी प्रकार का एक अति शुभ योग है गज केसरी। इस योग का निर्माण चन्द्र ग्रह व बृहस्पति ग्रह से होता है। यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह चन्द्रमा से केन्द्र में स्थित हो तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है। चन्द्रमा व बृहस्पति के दृष्टिगत सम्बन्धों से भी गजकेसरी योग बनता है।

यह योग अपने नाम के ही अनुसार व्यक्ति में गज जैसी अतुल्य शक्ति व साहस देता है, तथा शेर जैसी स्फूर्ति, तेज बुद्धि व लक्ष्य भेदी बनाता है। जातक बुद्धिमान, गुणवान, उच्च पदाधिकारी, बड़ा व्यापारी व कुशल नेता होता है। जातक को दीर्घायु व सन्तान सुख प्रदान करता है।

गज केसरी योग कुंडली के शुभ भावों जैसे मूल त्रिकोण या केंद्र भावों में निर्मित होता है तो इसके शुभ फलों में इजाफ़ा होता है वहीं इसके विपरीत त्रिक भावों में बने गज केसरी योग की शुभता में कमी आ जाती है। इसी के साथ साथ इस योग के पूर्णरूप से फलिभूत होने के लिए यह भी आवश्यक है कि इस योग के कारक ग्रहों पर किसी पापी ग्रह की दृष्टि न हो अथवा चन्द्र व बृहस्पति पाप ग्रहों से युक्त न हों।

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