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शनि की साढ़ेसाती

by CKadmin

शनि की साढ़ेसाती

नव ग्रहों में शनि देव को न्यायधीश की उपाधि दी गयी है। शनि देव को ज्योतिष में अक्सर दुःख देने वाले ग्रह के रूप में देखा जाता है। जबकि शनि देव प्रकृति का संतुलन बनाते हैं और मनुष्य को अपने जीवन में किए गए अच्छे-बुरे कर्मों का फल देते हैं।

शनि की साढ़ेसाती होती क्या है

शनि की साढ़ेसाती का अर्थ होता है, वो साढ़े सात साल जब शनि देव का प्रभाव किसी व्यक्ति पर सबसे अधिक होता है। शनि की साढ़ेसाती तीन चरणों में होती है। गोचर के दौरान शनि किसी भी राशि में ढ़ाई साल तक विराजमान होते हैं। साढ़ेसाती का पहला चरण जब शुरू होता है जब शनि गोचर के समय जन्म कुंडली में चन्द्र की स्थिति से बारहवें भाव में आते हैं, दूसरे चरण में चन्द्र के साथ और तीसरे चरण में चन्द्र की स्थिति से दूसरे भाव में विचरण करते हैं।

साढ़ेसाती का प्रभाव

तीन चरणों में होने के कारण शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव भी तीनों चरणों में अलग अलग देखा जाता है।

पहले चरण में व्यक्ति को आर्थिक कठनाइयों का सामना करना पड़ता है। अधिक मेहनत करने के पश्चात् भी व्यक्ति को उचित फल प्राप्त नहीं होता। आय से अधिक व्यय होने लगता है। स्वास्थ्य समस्यायें भी परेशान करती है। पति-पत्नी के बीच अक्सर कल्रेश रहता है और वह मानसिक परेशानियों से जुझता रहता है।

दूसरे चरण में व्यक्ति के व्यवसाय में उतार-चढ़ाव होता रहता है। व्यक्ति की वाणी में कटुता आती है, जिस कारण उस की अक्सर किसी ना किसी से लड़ाई होती रहती है। परिवार वाले व्यक्ति को सहयोग नहीं करते और व्यक्ति का किसी भी कार्य में मन नहीं लगता। ऐसा व्यक्ति बार-बार अपना व्यवसाय बदलता रहता है।

तीसरे चरण में व्यक्ति को शनि भौतिक सुखों का लाभ नहीं लेने देते हैं। इस दौरान उसको अपनों से भी बिछड़ना पड़ता है। व्यक्ति के मन में असंतोष की भावना जागृत हो जाती है। उसकी अपनी संतान उसका साथ नहीं देती है।

ऐसा नहीं है की तीनों चरणों में शनि देव सिर्फ कष्ट ही देते हैं। शनि देव केवल व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देने के लिए आते हैं। इसलिए अगर व्यक्ति सकारात्मक सोचे, कभी किसी का बुरा ना करें, हमेशा जरूरतमंद की जरूरतों का ध्यान रखें तो शनि देव साढ़ेसाती में भी व्यक्ति को धन-धान्य प्रदान करते हैं, उसके मान सम्मान में वृद्धि देते हैं। इस दशा में व्यक्ति बहुत से उपलब्धियों को प्राप्त करता है।

उपाय

शनि की साढ़ेसाती से बचने के लिए व्यक्ति निम्न उपाय कर सकता है: –

–    एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भर कर दान करें

–    हर शनिवार को उड़द की दाल दान करें

–    शनिवार के दिन व्रत रखें

–    प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें

–    कौवों को भोजन दें

–    शनि स्तोत्र का पाठ करें

–    अपने माता पिता का सम्मान करें

–    घर में काम करने वाले सेवक को कभी-कभी कुछ दान करते रहें

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