कुण्डली में बहुत प्रकार के योग बनते हैं, जो मनुष्य को रंक को राजा, निर्धन को धनवान बना देते हैं। पर जैसे दिन के साथ रात भी होती है उसी प्रकार अच्छे योगों के साथ कुंडली में कुछ बुरे योग भी बनते हैं, जिनको हम दोष भी बोलते हैं। ऐसा ही एक योग है – केमद्रुम योग।
कब बनता है केमद्रुम योग
जब जातक की कुंडली में चन्द्रमा किसी भी भाव में अकेला बैठा हो व चन्द्रमा के अगल-बगल कोई ग्रह ना हो, तो ऐसी परिस्थिति में केमद्रुम योग बनता है।
केमद्रुम का प्रभाव
चन्द्रमा को मन का कारक बोला गया है, और जब मन अकेला बैठा होता है तो वो इधर-उधर की बातों पर ज्यादा ध्यान देता है।
केमद्रुम योग से युक्त व्यक्ति को निर्धनता में अपना जीवन व्यापन करना पड़ता है। इस योग को दुर्भाग्य का सूचक माना जाता है। ऐसे जातक को पारिवारिक सुख भी प्राप्त नहीं होता और विवाह पश्चात संतान प्राप्ति में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बात तो स्थिति ऐसे बनती है कि जातक की स्त्री उस को छोड़ कर चली जाती है। ऐसे जातक की मनोस्थिति स्थिर नहीं होती, व मानसिक रोग से पीड़ित भी हो सकता है।
केमद्रुम योग भंग
जब जातक की कुंडली में चन्द्रमा से छठे और अष्टम भाव में शुभ ग्रह हो, कुंडली के केन्द्र में सिर्फ शुभ ग्रहों हो, केन्द्र में बृहस्पति ग्रह स्थित हो या जातक का जन्म शुक्ल पक्ष में रात्रि या कृष्ण पक्ष में दिन में हुआ हो, ऐसी स्तिथि बनने में केमद्रुम योग भंग हो जाता है।
उपाय
केमद्रुम योग होने पर जातक को निम्न उपाय करने चाहिए: –
- माता या किसी बुजुर्ग स्त्री के पैर छू कर नित्य आशीर्वाद लेना चाहिए
- सोमवार को दूध का दान करना चाहिए
- शरीर में चांदी धारण करें
- हर सोमवार को शिवलिंग का दूध अभिषेक करें
- घर में दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना करें
- श्री सूक्त का पाठ करें
- रुद्राक्ष की माला से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें
- हर सोमवार को गाय के दूध और चावल से खीर बना कर बच्चों में बाटें