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अश्वनी नक्षत्र

by CKadmin

अश्वनी नक्षत्र राशि भचक्र का पहला नक्षत्र है। यह नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र की श्रेणी में आता है। इसकी उपस्थिति
मेष राशि में 0 – 13*20′ तक होती है। केतू ग्रह को अश्वनी नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। अश्विनी नक्षत्र के चिह्न
के रूप में दो अश्व एक रथ को खीचतें हुए दिखाए जाते हैं। यहीं से वसंत विषुव का आरंभ होता है। यह नक्षत्र
देव प्रकृति, स्वभाव में शुभ, वैश्य जाति का पुरुष नक्षत्र है। खगोलशास्त्र के अनुसार अल्फा अरिएटिस व बीटा
अरिटिस नाम के दो तारों के समूह से अश्विनी नक्षत्र का निर्माण होता है।अश्विनी कुमार इस नक्षत्र के देवता
माने जाते हैं, जो कि इस ब्रह्मांड पर देवताओं के चिकित्सक के रूप में प्रसिद्ध हैं। भगवान श्री गणेश जी को भी
अश्विनी नक्षत्र के साथ देखा जाता है। अश्विनी नक्षत्र की दिशा दक्षिण दिशा होती है। मेष राशि का स्वामी ग्रह
मंगल, अश्विनी नक्षत्र का स्वामित्व रखने के कारण केतू ग्रह व सूर्य जो कि मेष राशि में उच्च के हो जाते हैं, अतः
ये तीनों ग्रह अश्विनी नक्षत्र से सम्बंधित माने जाते हैं। इस नक्षत्र को प्रत्येक नक्षत्र की भांति चार पदों में
विभाजित किया जाता है:

पहला पद – 0 से 320′   मेष राशि दूसरा पद – 320 से 640′   वर्षभ राशि तीसरा पद – 640′ से  10   मिथुन राशि
चौथा पद – 10 से 13*20′  कर्क राशि

अश्विनी नक्षत्र वाले जातक मुख्यतः अच्छे चिकित्सक, डॉक्टर, आरोग्य-आयुर्वेदिक विद्या  व ज्योतिष शास्त्र का
ज्ञान रखने वाले होते हैं। इन लोगों में दूसरों के प्रति दयाभावना व सवेंदनशीलता सहज रूप से होती है। आपको
प्यार देना व दूसरों से प्यार पाना पसंद है। इस नक्षत्र के जातक प्रायः काफी ऊर्जावान, चलायमान, सक्रिय,
स्फूर्ति व उतावले स्वभाव वाले होते हैं। ये प्रत्येक कार्य को तेजी से करना चाहते हैं। इनकी ये जल्दबाजी बहुत
बार काम बिगाड़ देती है। इस नक्षत्र के व्यक्ति हर नए काम को शुरू तो करना चाहते हैं परंतु पहले से चले आ
रहे कार्यों को पूर्णविराम नहीं दे पाते। ये लोग परिवहन व यातायात के कारोबार से जुड़े होते है। इस नक्षत्र में
जन्म लेने वाले जातक स्पष्टवादी, निष्कपट व विचारों में स्वंत्रता रखते हैं। ये लोग किसी के दबाव में आकर कुछ
नहीं करते। अश्विनी नक्षत्र के जातक स्वाभिमानी व महत्वाकांक्षी होते हैं। इन लोगों के चेहरे पर चमक व
आकर्षण होता है।

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