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चन्द्र-मंगल योग

by CKadmin

जन्म कुंडली में बनने वालेकुछ योग जातक के जीवन में बहुत ही शुभ प्रभाव डालते है। कुछयोगों को महत्वपूर्ण क्षेणी में रखा जाता है, जो जातक कोसम्मान और प्रतिष्ठा दिलवाते है। ऐसा ही एक योग हैचन्द्र और मंगल का योग।

चन्द्र शीतल प्रकृति का होता हैं। इस का तत्व जल है, स्त्री ग्रह है और मन का कारक है। चन्द्र सूर्य से जितना दूर होगा उनता ही प्रभावशाली, बलशाली एवं शुभ होता है। इसलिए पूर्णिमा में चन्द्र बलशाली होता हैं, जबकिअमावस्या में क्षीण हो जाता है।

वहीमंगल एक पुरुष ग्रह हैं।मंगल बल, साहस का प्रतिक है। मंगल की ऊर्जा अगर सकारात्मक दिशा में हो तो शुभ फल प्रदान करता है, अगर नकारात्मक दिशा में हो तो अशुभ फल देता है।

चन्द्रमा यदि दूध हैं,तो मंगल शहद हैं। दोनों के मिलने से दूध का स्वाद भी बढ़ताहै और सेहत भी बनती है।

जन्म कुंडली में अगर चन्द्रऔर मंगल एक ही राशि में हो या चन्द्र और मंगल एक दूसरे को देख रहे हो तो यह योग बनता है। इस योग के बनने से व्यक्ति के पास बहुत धन-संपत्ति होती है, परन्तु ऐसे जातक का व्यवहार अपनी माता के साथ अच्छा नहीं होता। चन्द्र-मंगल पर यदि शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति ईमानदारी से धन कमाता है, पर अगर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति अनुचित रास्तों का प्रयोग कर के धन ज़रूर कमाता है।ऐसे व्यक्ति का मनोबल उच्च होता है। जातक बुद्धिमान,सामर्थवान, शक्तिशाली होता है। मंगल के स्वभाव के कारण जातकथोड़ा जिद्दी औरक्रोधी भी हो सकता है, परन्तुअपनी हर परेशानियों से अपने साहस से मुक्त होता है।

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