काल सर्प योग का दूसरा प्रकार – कुलिक कालसर्प योग होताहै।जब जातक की जन्म कुंडली में राहु दूसरे घर में स्थिति हो और केतु अष्टम भाव में स्थिति हो और बाकी के ग्रह राहु और केतु के बीच में उपस्थित हो, तब कुलिक कालसर्प योग का निर्माण होता है।
कुलिककालसर्प दोष के कारणजातक को धन की हानि उठानी पड़ती है, जिस कारण उसको मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति को मेहनत करने के बाद भी उचित परिणाम नहीं मिलते है व वो असफलताओं से जूझता रहता है। कुलिक कालसर्प दोष से युक्त जातक की शिक्षाभी पूरी नहीं होती, ग्रहों की स्थिति अगर ज्यादा ही ख़राब हो तो ऐसा जातक शिक्षा बिल्कुल भी प्राप्त नहीं कर पाता अर्थात अशिक्षित ही रह जाता हैं।इनजातकों को कुटुंब का सुख भी प्राप्त नहीं होता। दूसरों की मदद करने को हमेशा तत्पर रहते है पर उस मदद का यश कभी इनको प्राप्त नहीं होता। इन व्यक्तियों को हमेशा रिश्तों में धोखा ही मिलता है। इन व्यक्तियों के विवाह में अक्सर रुकावटें आ जाती है और विवाह के बाद केजीवन में भी समस्याएं पीछानहीं छोड़ती है।
अगर कुण्डली में कुलिक कालसर्पदोष हो तो, जातक को शनिवार के दिन हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीया जलाना चाहिए, मादक वस्तुओं से दूर रहना चाहिए, ऐसा करने से कुछ हद तक कुलिक कालसर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।