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धर्मी कुंडली

by CKadmin

धर्मी कुंडली का लाल किताब में एक महत्वपूर्ण विषय है।जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में राहु या केतु स्थित हो या फिर कुंडली के किसी भी भाव में चन्द्रमा के राहु या केतु हो, तो ऐसे स्थिति में क्रूर ग्रह (शनि, राहुऔर केतु)अपने अशुभ फल देने की बजायें शुभफल प्रदान करने लगे, ऐसी कुंडली धर्मी कुंडली कहलती है।चन्द्रमा को ग्रहों की माता बोला जाता है और माता के सामने सभी शैतान व क्रूर ग्रह अपना व्यवहार छोड़ छोड़ देते है।

अन्यस्थिति में शनि कोभाग्यकाकारककहते है औरबृहस्पति एक कुंडली में सभी ग्रहों के गुरु है।इन दोनों ग्रहों की युति से भी धर्मी कुंडली का निर्माण होता है।

धर्मी कुंडली प्राकृतिक रूप से क्रूर ग्रहों में सकारात्मक बदलाव लाती है। ऐसी कुंडली के निर्माण से जातक को बाधाओं और असफलताओं का कम सामना करना पड़ता है।ऐसे जातक की आय के स्त्रोत मज़बूत होते है।कठिन परिस्थिति में जबकहीं से भी किसी का समर्थन नहीं मिलता तो ऐसे जातक को दैवीय मदद मिलती है।

ऐसे में जातक को झूठनाबोले, सात्विक भोजन करें, परिवार के साथ मिल कर रहें, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार रखने से धर्मी कुंडली के फलों में इज़ाफा होता है।

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