Home आध्यात्म ब्रह्म मुहूर्त: एक रहस्यमयी अतिशुभ पल

ब्रह्म मुहूर्त: एक रहस्यमयी अतिशुभ पल

by CKadmin

हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य को करने के लिए मुहूर्त निकलवाया जाता है, क्योंकि हर कार्य को करने के लिए कोई न कोई शुभ समय होता है। खगोलीय विज्ञान के अनुसार पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष परिक्रमा की गणना के आधार पर एक दिन की अवधि 24घण्टे की मानी गई है। एक दिन में 30 मुहूर्त होते हैं। एक मुहूर्त 2 घटी का होता है। प्रातःकाल सूर्योदय से लगभग डेढ़ घण्टा पहले के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त में प्रकृति भी चैतन्य होकर निंद्रा को त्यागने का संकेत देती है। इस समय पशु पक्षी जग जाते हैं। चिड़िया चहचहाने लगती हैं। मुर्गा बांग देता है। ये सभी बातें इस समय मे उठने का संदेश देती हैं। इस समय में चलने वाली पवन प्रदूषणरहित होने के कारण शरीर के लिए प्राणवायु तुल्य कार्य करती है। कहा जाता है कि एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ बुद्धि का वास होता है। ब्रह्म मुहूर्त में हमारा मस्तिष्क अपनी सकारात्मकता व क्रियाशीलता के चरम पर होता है। जीवविज्ञान के अनुसार भी हमारे मस्तिष्क को सर्वाधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। अतः यह समय ध्यान, योग व अध्ययन के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। अतः ब्रह्म मुहूर्त में जागना व्यक्ति को बुद्धिमान, बलवान, स्वस्थ, सुखी,  निरोगी व दीर्घायुजीवी बनाता है। ऐसा करने से मन शांत रहता है व तन में स्फूर्ति बन रहती है। इस समय को अपने ईष्टदेव की भक्ति के लिए उत्तम माना गया है। इस काल में सत्व गुण की प्रधानता होती है।

निम्नप्रकार करें ब्रह्म मुहूर्त का सदुपयोग:-

– यदि आप स्वयं से साक्षात्कार करना चाहते हैं, स्वयं का आंकलन करना चाहते हैं तो इस समय में ध्यान करें।

– अध्ययन व अभ्यास करें।

– अपने ईष्ट का स्मरण करें।

– इस समय में व्यायाम भी शरीर को निरोगी बनाता है।

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